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1
00:00:26,151 --> 00:00:30,238
12 दरवाजों के मुफ्त में एक शाही शहर
2
00:00:30,321 --> 00:00:33,450
और इसमें बसने वाला एक शाही महल है,
3
00:00:33,700 --> 00:00:38,705
जिसमें ना तो रवायत रही है और ना ही दोनों।
4
00:00:38,788 --> 00:00:42,083
390 साल पुरानी ये दीवारें शाही
5
00:00:42,083 --> 00:00:46,337
मोहल्ले की तस्वीर कहानी बयां करती हैं।
6
00:00:46,421 --> 00:00:50,258
यहां रक्स गीत और संगीत के लिए
7
00:00:50,258 --> 00:01:03,855
पूरे बने सदियों से लोग आते थे।
8
00:01:03,938 --> 00:01:05,565
हसन इसमें चेरी
9
00:01:05,565 --> 00:01:15,700
मुझे साथ देना, जरा
मेरे रफ्ता को आवाज देना है।
10
00:01:15,784 --> 00:01:23,124
को याद करते हुए आम
11
00:01:23,166 --> 00:01:28,755
इंसान
12
00:01:28,838 --> 00:01:30,006
यहां मिलते हैं।
13
00:01:30,006 --> 00:01:38,765
आधे से ज्याद
14
00:01:38,848 --> 00:01:41,810
नाचना गाना तो हर बने वक्त
15
00:01:41,810 --> 00:01:45,063
राजकुमार के पेट में महसूस किए गए।
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00:01:45,105 --> 00:01:47,774
इसका जिक्र
17
00:01:47,774 --> 00:01:51,027
मैं यहां
18
00:01:51,111 --> 00:01:53,571
बांधे हुए हैं।
19
00:01:53,571 --> 00:01:59,369
मैं रफी क्यों है वो आजाद की शायरी है।
20
00:01:59,452 --> 00:02:02,080
हम लहरा रहे हैं हाथ वो शायरी है।
21
00:02:02,080 --> 00:02:03,915
हम आपको आवाज दे रहे हैं।
22
00:02:03,915 --> 00:02:10,255
वो शायरी है
23
00:02:10,338 --> 00:02:16,511
कबीर जो इनसान है और पास है
24
00:02:16,594 --> 00:02:20,056
उदासी का भी नाम अक्सर मोहब्बत का नाम भी।
25
00:02:20,140 --> 00:02:21,850
अक्सर
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00:02:21,850 --> 00:02:24,936
हम इसके बाद फिर आपके सुर ताल लय
27
00:02:24,936 --> 00:02:29,649
ये सारे रक्स में शामिल हो
चुके जिंदगी रोना पीटना।
28
00:02:29,732 --> 00:02:33,611
अब आप बहुत खुश हैं
तो आप एकदम गनियारी क्या हो रहा है।
29
00:02:33,736 --> 00:02:38,783
ये भी एक अंदाजे रक्स का
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00:02:38,867 --> 00:02:39,492
ये आजा
31
00:02:39,492 --> 00:02:43,121
की शायरी जो है
ये वक्त और शायरी दोनों चीजें मिल के
32
00:02:43,163 --> 00:02:47,208
इसका मुरब्बा बना।
33
00:02:47,292 --> 00:02:50,295
हमारा जो है
वो मुगलों के जमाने में शुरू हुआ।
34
00:02:50,295 --> 00:02:55,633
ज्यादा जब मुगलों ने शाही किला
में रहकर के सम्मुख सूफी लाखा करार दिया।
35
00:02:55,633 --> 00:02:59,762
इसके असर में ही कि कैसे जगह बनाई जाए जमकर
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00:02:59,804 --> 00:03:02,765
मुगल शहजादे अदब आदाब सीखी।
37
00:03:02,765 --> 00:03:06,144
यहां के रहने वाली सवा
3 अरब का शाही के हवाई
38
00:03:06,144 --> 00:03:09,189
और बाजारी हुस्न का नाम भी इसलिए लिया गया।
39
00:03:09,189 --> 00:03:13,401
यहां पर हसीना
और कसाई राजपरिवार हुआ करती थी।
40
00:03:13,401 --> 00:03:17,864
उस जमाने में ये होता था
जब रब के बड़े बड़े दरबार लगा करते थे
41
00:03:17,947 --> 00:03:21,034
और उसमें जो बहुत बड़ी
बड़ी आर्टिस्ट होती थी।
42
00:03:21,034 --> 00:03:23,786
आगे आगे म्यूजिशियन पैदल चलते थे।
43
00:03:23,786 --> 00:03:29,834
बजाते हुए और उससे आगे पास जो होती थी
वो अपने फन का मुजाहिरा कर्तव्य बाकायदा
44
00:03:29,834 --> 00:03:34,422
तौर पर दरबारों के अंदर दाखिल होती थी
और कॉर्निश बजा के ले आती थी।
45
00:03:34,422 --> 00:03:37,717
यहां पर रूमी स्थित तो कहा कि लोग आते थे
और बाला
46
00:03:37,759 --> 00:03:41,221
स्थानों पर आकर उनसे
तहजीब को शायद ही सीखते थे।
47
00:03:41,221 --> 00:03:45,767
उनकी जुबान बड़ी मिठास प्रिशा रुस्तगी
और जरा अपनापन था।
48
00:03:45,850 --> 00:03:49,145
मुगलों ने हमें बहुत ज्यादा नवाजा।
49
00:03:49,145 --> 00:03:52,273
फनकारों को बहुत बड़े बड़े
मोहल्लों में रहते थे।
50
00:03:52,273 --> 00:03:54,484
फनकार है उनमें गजब ढा रही।
51
00:03:54,484 --> 00:03:55,026
कुछ पर भी।
52
00:03:55,026 --> 00:03:58,613
मगर उनके नाम जो थे वो मौजूद रहे।
53
00:03:58,696 --> 00:04:03,534
वो आज भी हैं और जिंदा रहेंगे
तो कभी भी मरघट फनकार पड़ जाता।
54
00:04:03,576 --> 00:04:06,996
रक्स करना
एक पुल के नजदीक क्या इज्जत तलब काम था?
55
00:04:06,996 --> 00:04:10,083
इसमें सल्फेट गजल डांस और उसे
56
00:04:10,124 --> 00:04:14,003
सुंदरियाल ने बनाया था,
लेकिन जिस्मफरोशी के नजदीक नहीं जाती थी।
57
00:04:14,128 --> 00:04:17,674
वो सिर्फ सिर्फ उन रात महफिल में क्या चाहती
58
00:04:17,715 --> 00:04:20,677
जब बाशा के दरबार में जाकर रक्स किया
करती थी।
59
00:04:20,760 --> 00:04:24,472
कुमार से मिलता था
वो औरतें जो के बहुत बड़े बड़े फनकार थे,
60
00:04:24,472 --> 00:04:28,643
जिनके बाजार से जिनकी शामें सजती थी
और बड़े बड़े नवाब
61
00:04:28,726 --> 00:04:32,146
अपने बच्चों को भेजा करते थे
कि उनसे जाके समय सीखे।
62
00:04:32,146 --> 00:04:36,276
उसे अदब आदाब सीखे
क्योंकि मकसूद निवास के खवातीन के कितने
63
00:04:36,359 --> 00:04:42,365
विश्वास और चूड़ीदार पाजामे
और उनको रक्स की खुसूसी तरबियत दी जाती थी।
64
00:04:42,365 --> 00:04:44,617
ये ये जो वक्त जो पुराना हम कह रहे
65
00:04:44,617 --> 00:04:48,913
जिस रथ को हम कह रहे हैं
वह रूहानियत थी वह कदम एहतराम था।
66
00:04:48,913 --> 00:04:51,666
एक तरबियत थी एक मैसेज था।
67
00:04:51,666 --> 00:04:55,503
एक बहुत बड़ा फन था जो नहीं है
पढ़ी लिखी नहीं थी।
68
00:04:55,503 --> 00:04:58,756
मगर इतने अदब आदाब और इतना एहमियत कि उनमें
69
00:04:58,756 --> 00:05:03,970
उन्होंने बहुत बहुत बहुत बड़े
रईसों को इन्सान बना दिया।
70
00:05:04,053 --> 00:05:08,141
प्रकाशन के साथ साथ मौसी का गुणगान, ग़ज़ल,
71
00:05:08,141 --> 00:05:12,979
गायक और कई गायक उस्ताद भी आ रहे।
72
00:05:13,062 --> 00:05:14,856
वो एपिसोड भी
73
00:05:14,856 --> 00:05:17,734
ऐसी टेलीफिल्म की मौजूदगी प्रमोट हुई
74
00:05:17,734 --> 00:05:22,030
और वह स्कूल था
और एकैडमी की वो डांसर नहीं थी।
75
00:05:22,030 --> 00:05:26,117
वो अकैडमी थी
वो कैडीज अब इस दुनिया में न पैदा हैं
76
00:05:26,117 --> 00:05:30,538
और हम सिर्फ उनके लिए एक अफसाने की शकल में
एक आदमी इजहार कर रही
77
00:05:30,580 --> 00:05:36,085
तवायफें अक्सर अक्का सानू के नाम से
शाही महल में मुजरा किया करती थी।
78
00:05:36,085 --> 00:05:40,965
मुजरा एक खास शख्स का नाम था
इस रथ में मुख्तलिफ सजदे थे।
79
00:05:40,965 --> 00:05:45,636
ठुमरी गाने वाली राम निखार
और बासी दीपक और बहुत सी चीजें
80
00:05:45,636 --> 00:05:51,267
इसके साथ साथ चलती रही,
लेकिन उसे आम सोसाइटी में कौन सुलझाएगी में
81
00:05:51,351 --> 00:05:55,688
यह प्रश्न पैदा हो गया
कि ये सिर्फ किसी ही तबके का था।
82
00:05:55,772 --> 00:05:59,067
हल भी यही हुआ कि यहां पर आकर लोग
83
00:05:59,150 --> 00:06:02,695
प्रकृति से गाते थे कि ये कैसा रिश्ता नाचे।
84
00:06:02,737 --> 00:06:06,324
हर मर्तबा कैसी है
लेकिन ससुर की गायकी सुनाती है,
85
00:06:06,324 --> 00:06:10,578
लेकिन उनको अपनाने में काफी तो अमल करते
86
00:06:10,661 --> 00:06:13,748
और कसाई इस अंजाम से बेखौफ हुआ कि
87
00:06:13,831 --> 00:06:17,085
हम किसी शरीफ की फेरी के सफर नहीं बन सकती।
88
00:06:17,085 --> 00:06:20,004
हमारा काम यहां पर प्रकट करना है।
89
00:06:20,004 --> 00:06:25,385
राजा महाराजा योजना उनके हां, उनका उठना
बैठना क्या उनकी शान थी और क्या एहतराम था?
90
00:06:25,385 --> 00:06:28,846
आज बहुत नजरों से गिरी हुई
वो मगर वो गिरी नहीं थी।
91
00:06:28,846 --> 00:06:33,726
उस जमाने की बेहतरीन किस्म की मांएं
बेहतरीन उस्ताद बेहतरीन औरतें
92
00:06:33,726 --> 00:06:38,439
बेहतरीन फनकार है और बेहतरीन
तहजीब और तवज्जों का एक इदारा था।
93
00:06:38,439 --> 00:06:40,525
वो जो बर्बाद हो गया खत्म हो गया।
94
00:06:40,525 --> 00:06:42,193
अगरचे यहां पर सवाल थी।
95
00:06:42,193 --> 00:06:44,112
कुरान की तालीम भी हासिल करती थी।
96
00:06:44,112 --> 00:06:49,367
लेकिन क्या किया जाए
कि मर्द में औरत को इज्जत नहीं है।
97
00:06:49,367 --> 00:06:55,331
उसका बुरा इम्पैक्ट यह पड़ा कि किस
बालक ने कलाम को था बन गया तबाह से लिया।
98
00:06:55,331 --> 00:06:59,919
इन्होंने तवायफ और कोई भारतीय तवायफ कोई ना
कोई गंदा नहीं है।
99
00:06:59,919 --> 00:07:03,423
मगर लोगों ने उसको बड़ा कर हर जमाने में
100
00:07:03,423 --> 00:07:06,592
औरत को जब वो सितम का ही निशाना बनी।
101
00:07:06,634 --> 00:07:10,721
उन्होंने औरत को एक हाइजीनिस्ट के तौर
पर इस्तेमाल किया।
102
00:07:10,721 --> 00:07:12,723
हाय सुकून महसूस किया।
103
00:07:12,723 --> 00:07:15,852
दो बजने दो गाने सुने रकम दी चले गए।
104
00:07:15,852 --> 00:07:20,940
लिहाजा इन बाला
हाल में बहुत सी कहानियां भी जन्म लेती रही।
105
00:07:21,023 --> 00:07:24,360
पर जुल्म बाकायदा एक जाहिर के जरिए
106
00:07:24,444 --> 00:07:26,779
उन लोगों में ये जिस्मफरोशी या होगा ना
107
00:07:26,779 --> 00:07:31,576
इस तरह की कोई किसी सफाई भी ये ऐसा ही है।
108
00:07:31,576 --> 00:07:35,079
ये मेरा कि वो
अपने आप को सुपर लेकिन कहते थे
109
00:07:35,163 --> 00:07:38,207
ये अपने आप हुई
और अभी तक वो सिलसिले चलेंगे।
110
00:07:38,207 --> 00:07:40,793
नफरतों के बीच
111
00:07:40,793 --> 00:07:42,962
इंसानियत के बीज नहीं थे।
112
00:07:42,962 --> 00:07:46,466
ये वाकई सब मुगल दौर खत्म हुआ
113
00:07:46,466 --> 00:07:50,595
तो मुबारक दौर के बाद
ये हुआ कि वो डांस भी होते चले।
114
00:07:50,678 --> 00:07:54,765
उनमें कुछ लोग भीगी
पलकों के मारे काम में जुट गए
115
00:07:54,849 --> 00:07:57,643
तो ये दोस्ती है पानी का मूवमेंट नंबर
116
00:07:57,643 --> 00:08:00,313
अपर और जागीर के जमाना था।
117
00:08:00,313 --> 00:08:06,861
फिर वो हट गया और अपना रोजगार चलाने के लिए
तुमने जिस्मफरोशी शुरू कर दी।
118
00:08:06,861 --> 00:08:10,198
उनकी मौत की जरूरी यात्री की
119
00:08:10,281 --> 00:08:13,534
तवायफ को मुंह तोड़ पुल बनने या
120
00:08:13,618 --> 00:08:16,871
कोई और स्कूल काम की कहकर
121
00:08:16,954 --> 00:08:20,833
उमर भूस्वामी उसे लूट
पुनर्वास की जमीन पर पाषाण बनाया
122
00:08:20,833 --> 00:08:25,463
तो यहां अंजुमन शहर में
एक पूरा शहर बसा हुआ था
123
00:08:25,546 --> 00:08:30,885
और इतनी बड़ी बड़ी सील के लोग
उनके जूतों में हीरे लगे हुए होते थे।
124
00:08:30,968 --> 00:08:33,930
कोई मामूली आदमी
उनके यहां भी दाखिल हो सकता था।
125
00:08:33,930 --> 00:08:38,017
हाल बनी गजाला के दौर में
इनको पाबंदी लगा दी गई
126
00:08:38,100 --> 00:08:40,811
तो ये खवातीन मियां से तितर बितर हुई
127
00:08:40,811 --> 00:08:45,107
और मुस्लिम जगहों पर मिलती गई
और ये बाला ने घेर लिया।
128
00:08:45,107 --> 00:08:47,818
अपने मकसूद से वो घर घर चले गए।
129
00:08:47,818 --> 00:08:52,031
सूखे से मायूस हुए के वक्त वास्ता लोगों ने
नगर अंदाजी शुरू की।
130
00:08:52,156 --> 00:08:55,826
जब नजरअंदाज होने शुरू हुए
दिनों उनके मुताबिक होते चलेंगे
131
00:08:55,826 --> 00:08:59,705
पर मुझे नहीं
और अपने दुखों में वो सिमटते चले गए।
132
00:08:59,830 --> 00:09:04,252
सिमटते सिमटते, सिमटते,
सिमटते आलू का नामोनिशान नहीं है।
133
00:09:04,335 --> 00:09:07,588
मध्य तौर पर मुल्लाओं ने किन्हीं मौलवी
134
00:09:07,588 --> 00:09:11,592
हर भी कंडम नर्सों की कमी खल ना निकाल सके।
135
00:09:11,676 --> 00:09:14,387
इन संवासिनी का कुसूर है।
136
00:09:14,387 --> 00:09:20,142
अच्छे से देखे जाते बड़ा है
करते अफसोस होता है टिकरा पाशा।
137
00:09:20,184 --> 00:09:24,647
नदियों में मैं एक खपरैल का तो
138
00:09:24,730 --> 00:09:28,317
देखा जाए तो मेरी 50 साल की जिंदगी जो है।
139
00:09:28,317 --> 00:09:31,654
इस फंड की उसमें फसल की आय में
140
00:09:31,737 --> 00:09:36,075
इसका रिश्ता होता है और ख़बर के लिए
बाकायदा तौर उन्होंने मुझे समझाया।
141
00:09:36,075 --> 00:09:41,289
बड़ी कोशिश 50 साल
मैंने कर करके अपने अंदर संजोया है।
142
00:09:41,289 --> 00:09:44,584
पांच शेर के घुंघरू बांध के आप नाचे
143
00:09:44,667 --> 00:09:47,837
तो लोगों को पता चले क्या हालत क्या है?
144
00:09:47,837 --> 00:09:50,840
मैंने तो 50 60 फिल्में की
145
00:09:51,007 --> 00:09:54,010
कुछ उसमें एक कैफियत तारी हो जाती है।
146
00:09:54,135 --> 00:09:58,431
जब भी कभी बहुत ज्यादा मैं बहुत पीछे जो
147
00:09:58,514 --> 00:10:01,767
मुझे क्योंकि सबसे फिर
बुजुर्गों का भी असर होता।
148
00:10:01,851 --> 00:10:06,397
शुरू से ही माना जाता था
तो ये वो पैसे नहीं होते थे।
149
00:10:06,480 --> 00:10:09,942
अगर वो होता था
तुझे सिखाने वाला तुम अपनी सारी जरूरी
150
00:10:09,942 --> 00:10:19,785
ऊपर डालनी है।
151
00:10:19,785 --> 00:10:23,664
वो नफरत योजना बताई और मिलाती गई।
152
00:10:23,706 --> 00:10:27,460
मैने मुझे 65 सालों
153
00:10:27,543 --> 00:10:30,338
मैं पैसठ साल भोलेपन डूबी मर गई।
154
00:10:30,338 --> 00:10:36,469
हम तो जमाने ने बहुत याद किया
सुना है, अदाएं रख सकती थी।
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बात तनाव की चादर में हवाएं गीत गाती थी।
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शामों की रोशनी से इतनी मचलते थे।
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फूलों की महक से परवाने जानते थे।
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कहानी कहते हैं
दीवारें एक वो इंसान नहीं है।
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मकान तो बहनें हैं बस मकान नहीं है।
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